Thursday, 6 November 2014

Rajputana Poem


अक्शर अचाई का रास्ता गंदिगी से हो कर गुजरता है।
अगर कुछ अच्हा करना है तो गंदिगी को ख़तम करना होगा।।
कुछ करना है अगर तो कीचड़  में खुदना ही होगा।
अगर किसी को न्याय देना है तो आज लड़ना ही होगा।।


अगर अब नहीं आगे बढ़ेंगे तो ज़िन्दगी भर लाइन में लगना ही होगा।
अगर आज कीचड़ साफ नहीं किया तो कल दलदल में फसना ही होगा ।
अगर आज कुछ नहीं किया तो कल रोना ही होगा।।


अगर अब बैठे रह गए तो ज़िन्दगी भर रोना होगा।
अगर आज आंखे नहीं खोली तो ज़िन्दगी भर आंखे बंद रखनी होगी।।
अगर आज कान बंद कर लिए तो ज़िन्दगी भर शोर सहेना होगा।
अगर आज नहीं जागे दोस्तों तो ज़िन्दगी भर सोना पड़ेगा ।।


उठो जागो अन्याय के आगे आज तलवार उठालो।
तोड़ दो आज सारी ज़ंजीरो को, बता दो इन चोरो को।
बता दो इस दुनिया को की हम रणवीर है।
बता दो की हम रंजित है।।


हम आज भी वही ताकत रखते है।
अपनी प्यास पानी से नहीं बल्कि शोनित से बुजाते है।
आज भी हम जब ललकार उठाते है तो शेर भी अपनी दुम दबाते है।।


तोड़ दो सारी ज़ंजीरो को, तोड़ दो इन बंधन को. आज जीत्लो इस दुनिया को।
सिखा दो इस दुनिया को की सिधांत क्या होते है।
आज बता दो की आदर्श क्या है।।


दिखा दो सबको की सब्दो के मोल क्या होते है ।
दिखा दो सबको की राज केसे करते है ।
सिखा दो सबको की जीवन मृत्यु क्या है।
आज बता दो इनको की एक राजपूत क्या है।
आज बता दो इनको की एक राजपूत क्या है।।


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