बडे जतन से पाया,
महा पुण्य का फल साथी ,
ये महा तपोँ की छाया,
मातृभूमी की रक्षा का,
सतयुग से भार उठाए,
तुमने भारत की सेवा मे,
मुँडो के माल चढाए.
तुम्ही ने बनकर भीष्म,
सदा काँटो को हृदय से लगाया,
महा पुण्य का फल…
तुम्ही राणा बनकर गरजे ,
मुगलो पर बिजली बन बरसे ,
तुम्ही ने हल्दिघाटी मे ,
बलिदान किए हसते हसते,
तुमने अपने भुज बल से कितने,
वीरो का होश उडाया,
महा पुण्य का फल…
है शान हमारी सदा ईसी मे,
पथ पर चलते जाए,
अपने विश्वास बुद्दि बल से,
दुनिया को राह दिखाए,
तुम राजपूत के वंशज हो,
जो सदा विजय घर लाए
महापुण्य का फल ..
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