रात चौंधाई, दिन घबराया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!धरती भी डोली, आई सूरज पर भी छाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
पहाडो को झुकाया, मौत को भी तड़पाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
शौर्य को जगाया
शौर्य को लड़ाया
शौर्य को हराया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
दुश्मन घबराया
दुश्मन को हराया
दुश्मन के किले की नींव को हिलाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
समाज को प्रकाश दिखाया
समाज को बचाया
समाज को न्याय दिलाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
धरती पर एक समानता को फैलाया
आर्यव्रत की शान को बढाया
तलवारों के स्तंभों से प्यार का पुल बनाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
औरत को समाज में मान दिलाया
कमजोर भी मजबूत हालत में आया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
अग्नि को लोगो ने ठंडा पाया
समंदर को भी लोगो ने जमता पाया
जब इस धरती पर राजपूत आया
दुश्मन की आँखों में आया डर का साया
शेर भी उस दहाड़ से घबराया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!
इनके क्रोध को न जगाना
इनके धैर्य को न डगाना
क्योंकि तब- तब प्रिलय आई है
जब- जब इस धरती पर राजपूत आया
राजपूत
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