न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको, न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है…!!
राजपूतों की पहोंच दिल्ली से लेकर शमशान तक हैं , आवाज दिल्ली तक जाती हैं ओर दुश्मन शमशान तक ।
हम राजपूत हे, प्यार से मांग लो ‘जान हाजिर’ है, वरना तलवारों से इतिहास लिखना हमारी परंपरा हे ।।
माँ ने कहा था कभी किसीका दिल मत तोडना,, इसलिए हमने दिल को छोड के बाक़ी सब तोड़ा !! जय राजपुताना
राजपूतो का बस यही अंदाज हे , जब आते हे तो गरमी अपने आप बढ़ जाती हे ।
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