जननी भगनी सम अन्य त्रिया, गिन के न कभी व्यभिचार किया |
यदि आवत काल क्रपान गहि ,भयभीत न हो राजपूत वही |
धर्तिवान से धीर समीप रखे , निज चाकर खवासन को निरखे |
जिसने न रिपु ललकार सही , राजपूत रखे राजपूत वही |
पर कष्टं में पड़ के हरता ,निज देश सुरक्षण जो करता |
जिसने मुख से कही न नहीं ,प्रण पालत सो राजपूत वही |
विविधायुध वान रखे नितही , रण से खुश राजपूत वही |
सब लोगन के भय टारन को ,अरी तस्कर दुष्टन मारन को |
रहना न चहे पर के वश में ,न गिरे त्रिय जीवन के रस में |
जिसके उर में शान्ति रही ,नय निति रखे राजपूत वही |
मै राजपूत मै राजपूत !!
िर से शक्ति के मंदिर मैं नित पुष्प चढाने जाता हूँ !
निज शरीर की लोह कड़ी फौलादी करने जाता हूँ !!
वज्र कड़ी से मिला कड़ी दीप दीप से जला जला कार !
नए मार्ग से जीवन का इतिहास बनाने जाता हूँ !
कठिनाई आवे टूट पडूँगा राजपूत हूँ राजपूत !!
मै राजपूत मै राजपूत !!
बौखला उठा लंका सागर जब मेरे धनु पर तीर चढ़ा !
बन साधक मैने ताप किया झुक पड़ी विष्णु की गंगधारा !!
बैरी पर मेरी खडग उठी तब कांप उठी पाताल धरा !
बर्फीला काबुल पिघल गया मेरी भृकुटी थी प्रलयकार !!
बाबर के प्याले टूट पड़े बोले जय तेरी राजपूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
बौखला उठा लंका सागर जब मेरे धनु पर तीर चढ़ा !
बन साधक मैने ताप किया झुक पड़ी विष्णु की गंगधारा !!
बैरी पर मेरी खडग उठी तब कांप उठी पाताल धरा !
बर्फीला काबुल पिघल गया मेरी भृकुटी थी प्रलयकार !!
बाबर के प्याले टूट पड़े बोले जय तेरी राजपूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
तुम जागीरो के गुर्गे यह शब्द कहा से आता है !
मेरे तो कानो में जब दुर्बल का रोदन जाता है !!
बस तड़फ शिराएँ उठती है मेरे दिल की तड़क तड़क !
फिर नही तोलता हानि लाभ कर्त्तव्य याद आ जाता है !!
जब मानवता के त्राण हेतु मैं रक्त बहत हूँ प्रभूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मेरे जौहर और शको से यमराज यहाँ खा गए मात !
जब कभी जली शमाँ तभी निज को कर दिया भष्मसात !!
सोमनाथ खानवा और हल्दीघाटी रणत भंवर में !
झुका जहाँ पर वहां वहां एक के लाख हाँथ !!
चित्तोड्दुर्ग से जीर्ण दुर्ग देते मेरे व्रत का सबूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मैने ब्रह्मा की शंख ध्वनि से धर्म और संस्कृति को सिखा !
भगवन विष्णु के प्रखर चक्र से वज्र कठोरता को सिखा !!
मैने प्रलयन्कर शिव से सिखा महा विनाश का मूल मंत्र !!
दानव राहू केतु से मैने अमर मृत्यु को है सिखा !!
बालक ध्रुव से अटल साधना ऋषियों से विध्या परमपुत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मै बलिदानों का हूँ प्रतिक मै भारत माता का सपूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मैने धरती के कागज पर असिधाराओ से लिखे लेख !
मैने अम्बर को लाल किया प्राची में उषाकाल देख !!
सूर्य चन्द्र की अग्नि में पूरित हें महातेज !
में सृष्टि के अवसान काल की विकट थिरकती प्रलय रेख !!
में महा ध्वंश का प्यासा भैरव महाकाल का अग्रदूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मै बलिदानों का हूँ प्रतिक मै भारत माता का सपूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मै बलिदानों का हूँ प्रतिक मै भारत माता का सपूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!
मै बलिदानों का हूँ प्रतिक मै भारत माता का सपूत !
मै राजपूत मै राजपूत !!